नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट मे आज हम दोहरा लेखा प्रणाली के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करने वाले है। वैसे तो लेखांकन की प्रमुख रूप से चार प्रणालियों होती है। परन्तु किसी भी व्यापार का पूर्ण रूप से लेखा करने के लिए दोहरा लेखा प्रणाली बहुत प्रसिद्ध और विश्वसनीय है। और इसका कारण है। की इस प्रणाली के अंतर्गत व्यापार में होने वाले प्रत्येक व्यवहार या सौदे को वैज्ञानिक और तर्कसंगत आधार पर इस प्रकार लिखा जाता है। की आवश्यकता पढ़ने पर व्यापार की आर्थिक स्थिति और व्यापारिक परिणामों को आसानी से ज्ञात किया जा सके। तो चलिए दोस्तों अब हम दोहरा लेखा प्रणाली और इसकी विशेषताओ के बारे में जानते हैं।
दोहरा लेखा प्रणाली और इकहरा लेखा प्रणाली मे अन्तर।
दोहरा लेखा प्रणाली किसे कहते है।
दोहरा लेखा प्रणाली से आशय ऐसी प्रणाली से है। जिसके अंतर्गत प्रत्येक व्यापारिक सौदे के लिए दो अलग-अलग पक्ष प्रभावित होते है। जिसके एक पक्ष नाम (Debit) होता है। तो दूसरा पक्ष जमा (Credit) होता है। अतः हम कह सकते है। की प्रत्येक सौदे का दो पक्षों में एक साथ लेखा किये जाने के कारण ही इसे दोहरा लेखा प्रणाली कहते है।
दोहरा लेखा प्रणाली का उदाहरण :-
दोहरा लेखा प्रणाली के नियम
1.व्यक्तिगत खाते (Personal Accounts)
2.वस्तुगत खाते या संपत्ति खाते (Real Accounts)
3. नाममात्र के खाते या अव्यक्तिगत खाते ( Nominal Accounts)
दोहरा लेखा प्रणाली की विशेषताएँ या आवश्यक तत्व।
दोहरा लेखा प्रणाली के लाभ, गुण, उद्देश्य या महत्व।
दोहरा लेखा प्रणाली के दोष एव हानियाँ।
नमस्कार दोस्तों आशा करता हु। की आप को मेरा पोस्ट बहुत पसंद आया होगा। जिसमें मेने आप को बहुत ही आसान शब्दों मे बताया कि दोहरा लेखा प्रणाली क्या है। तथा इसके गुण ओर दोष क्या है। तो दोस्तों आप को मेरा ये पोस्ट कैसा लगा मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताये। और दोस्तों यदि आप इसी तरह Accountingसे संबधित पोस्ट निरंतर प्राप्त करना चाहते हैं। तो आप मेरे ब्लॉग पर उपस्थित नोटीफिकेशन बेल पर जरूर क्लिक करे।
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हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।
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