दोस्तो Accounting शब्दावली के अंतर्गत उन Accounting Word को शामिल किया जाता है। जिनका उपयोग Accounting करते समय होता है। यदि आप एक कॉमर्स स्टूडेंट हो या फिर आप अकाउंटिंग सीख रहे हो। तो आप को इन शब्दो का हिन्दी अर्थ जरूर जानना चाहिए। क्योकि Accounting करते समय ये शब्द आप के Daily Uses मे आते है। तो चलिये दोस्तो अब हम जानते है। की अकाउंटिंग शब्दावली क्या है। Accounting Terminology क्या है।
अकाउंटिंग की शब्दावली क्या है। (Accounting Terminology)
1. Dr. (Debit) – नाम या नामे
2. Cr. (Credit) – जमा
3. C/d – Carried Down या नीचे ले गए
4. B/d – Brought Down या नीचे लाए
5. A/c – Account या खाता
6. J. F. – Journal Folio या जर्नल पृष्ठ संख्या
खाता-बही मे लेन-देन की खतोनी (Posting) जिस पृष्ठ पर की जाती है। उस पृष्ठ संख्या को (Journal Folio) जर्नल पृष्ठ संख्या कहते है।
7. L. F. – Ledger Folio या खाता-बही पृष्ठ संख्या
8. C/f – Carried Forward या आगे ले गए
9. B/f – Brought Forward या आगे लाए
10. Bussiness Transaction – व्यापारिक सोदे या लेन-देन
व्यापार मे होने वाले प्रतिदिन माल या सेवा (Goods & Services) के लेन-देन को व्यापारिक सोदे या लेन-देन (Bussiness Transaction) कहते है। यह व्यापारिक सोदे नगद (Cash) या उधार (Credit) दोनों प्रकार से हो सकते है।
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11. Capital – पूँजी
व्यापार का मालिक व्यापार शुरू करते समय जो नगद धन (Cash) या माल (Goods) लगाता है। उसे पूँजी (Capital) कहते है।
12. Purchase – क्रय
व्यापार मे पुनः विक्रय के उद्देश्य से या व्यापार को सुचारु रूप से चलाने के लिए खरीदे गए माल (Goods) को क्रय (Purchase) कहते है।
13. Purchase Return – क्रय वापसी
व्यापार मे खरीदे गए माल को जब किसी कारणवश वापसी किया जाता है। तो उसे क्रय वापसी (Purchase Return) कहते है।
14. Sale – विक्रय
व्यापार मे खरीदे गए माल को बेचने की प्रक्रिया को विक्रय (Sale) कहते है। यह विक्रय नगद (Cash) और उधार (Credit) दोनों प्रकार से हो सकता है।
15. Sale Return – विक्रय वापसी
व्यापार मे जब बेचा हुआ माल किसी कारणवश वापसी आ जाता है। तो उसे विक्रय वापसी (Sale Return) कहते है।
16. Debtors – देनदार या अधमर्ण
व्यापार मे जिनसे राशि लेना है। वह व्यापार के देनदार या अधमर्ण (Debtors) कहलाते है।
17. Creditors – लेनदार या उत्तमर्ण
व्यापार मे जिन्हे राशि देना है। वह व्यापार के लेनदार या उत्तमर्ण (Creditors) कहलाते है।
18. Business – व्यापार
लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से किया गया वैधानिक कार्य व्यापार (Business) कहलाता है।
19. Drawings – आहरण
जब व्यापार का मालिक स्वयं अपने लिए नगद (Cash) या माल (Goods) निकालता है। तो उसे आहरण (Drawings) कहते है।
20. Goods – माल
व्यापार मे लाभ कमाने के उद्देश्य से जिन वस्तुओ की खरीदी-बिक्री (Purchase & Sale) की जाती है। उन वस्तुओ को माल (Goods) कहते है।
21. Income – आय
व्यापार मे जितनी भी आगम (Revenue) होती है। उसमे से व्यय (Expenditure) घटाने के बाद जो राशि बचती है। उसे आय (Income) कहते है।
22. Profit – लाभ
व्यापार मे किसी एक लेखांकन अवधि को जितने भी व्यय होते है। यदि उन पर आगमों का आधिक्य होता है। तो उसे लाभ (Profit) कहते है।
23. Entry – लेखा
व्यापार मे होने वाले लेन-देन का लिखित रूप लेखा (Entry) कहलाता है।
24. Account – खाता
किसी व्यक्ति विशेष या वस्तुओ से संबन्धित व्यवहारों का लेखा जिस पुस्तक के शीर्षक मे लिखा जाता है। उसे उस व्यक्ति या वस्तु का खाता (Account) कहते है।
25. Voucher – प्रमाणक
व्यापार मे होने वाले लेनदेन के लिखित प्रमाण को प्रमाणक कहा जाता है।
26. Stock – रहतिया या स्कन्ध
व्यापारी के पास जो भी माल (Goods) रहता है। उसे रहतिया या स्कन्ध (Stock) कहते है। किसी व्यापार मे Stock दो प्रकार का होता है।
Closing Stock – अंतिम रहतिया या स्कन्ध
वर्ष के अंत मे जो माल व्यापारी के पास बिना बिका रह जाता है। उसे अंतिम रहतिया (Closing Stock) कहते है।
Opening Stock – प्रारम्भिक रहतिया या स्कन्ध
वर्ष मे अंत मे बिना बिका माल अगले वर्ष प्रारम्भिक रहतिया (opening Stock) कहलाता है।
27. Bill Receivables – प्राप्यताए
व्यापार मे देनदारो या प्राप्य विपत्रों से प्राप्त राशि प्राप्यताए (Bill Receivables) कहलाती है
28. Bill Payables – देयताए
व्यापार मे लेनदारों और देय विपत्रों को देय राशि देयताए (Bill Payables) कहलाती है।
29. Revenue – आगम
व्यापार मे माल या सेवा से प्राप्त होने वाली राशि आगम (Revenue) कहलाती है।
30. Expenditure – खर्च
किसी प्रकार की संपत्ति या सेवा प्राप्त करने के लिए जो भुगतान किया जाता है। उसे खर्च (Expenditure) कहते है।
31. Assets – संपत्तिया
व्यापार मे प्रयोग किया जाने वाला भवन, फर्नीचर, मशीन आदि संपत्ति (Assets) कहलाता है।
32. Liabilites – दायित्व
व्यापार के मालिक द्वारा लगाई पूँजी और चुकाए जाने वाले ऋण दायित्व (Liabilites) कहलाते है।
33. Profession – पेशा
पूर्व प्रशिक्षण के द्वारा प्राप्त किसी भी प्रकार का विशिष्ट ज्ञान पेशा (Profession) कहलाता है। जैसे – डाक्टर, वकील, अकाउंटेंट, शिक्षक आदि।
34. Proprietors – व्यापार का स्वामी या मालिक
व्यापार मे पूँजी लगाकर व्यापार प्रारम्भ करने वाला व्यक्ति अर्थात लाभ-हानि को प्राप्त करने वाला व्यक्ति व्यापार का मालिक (Proprietors) कहलाता है।
35. Insolvent – दिवालिया
किसी कारणवश यदि व्यापारी अपने दायित्व को चुकाने मे असमर्थ हो जाता है। तो उसे दिवालिया (Insolvent) कहते है।
36. Financial Statement – वित्तीय विवरण
व्यापार मे होने वाले लाभ-हानि को ज्ञात करने के लिए वर्ष के अंत मे जो विवरण तैयार किए जाते है। उसे वित्तीय विवरण (Financial Statement) कहते है।
37. Accounting Equation – लेखांकन समीकरण
संपत्ति, दायित्व और पूँजी के मध्य होने वाले वास्तविक संबंध को लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) कहते है।
38. Discount – बट्टा या छूट
व्यापारी द्वारा अपने ग्राहको को दी जाने वाली छूट या रियायत को बट्टा (Discount) कहते है।
बट्टा निम्न प्रकार का होता है।
Trade Discount – व्यापारिक बट्टा
अधिक विक्रय के उद्देश्य से अंकित मूल्य पर दी जाने वाली छूट को व्यापारी बट्टा (Trade Discount) कहते है। व्यापारी बट्टे का हिसाब-किताब लेखा पुस्तकों मे नही किया जाता है।
Cash Discount – नगद बट्टा
व्यापारी द्वारा निर्धारित अवधि से पूर्व भुगतान के लिए करने के लिए दी जाने वाली छूट को नगद बट्टा या Cash Discount कहते है। Cash Discount का लेखा पुस्तकों मे किया जाता है।
39. Cost – लागत
कच्चे माल को पक्के माल मे परिवर्तित करने के लिए या वस्तु को विक्रय योग्य बनाने के लिए जो खर्च किया जाता है। उसे लागत (Cost) कहते है।
40. Stores – स्टोर्स
व्यापार के प्रयोग की वस्तुए स्टोर्स कहलाती है।
41. Loss – हानि
किसी एक लेखांकन अवधि को जितननी भी आय होती है। यदि उन पर व्ययों का जो आधिक्य होता है। तो उसे हानि (Loss) कहते है।
42. ह्रास (Depreciation)
स्थायी सम्पत्ति के मूल्य में धीरे-धीरे आने वाली कमी को ह्रास (Depreciation) कहते हैं। इसे अवक्षयण या घटौती भी कहते हैं।
43. अशोध्य ऋण (Bad Debts)
यदि किसी देनदार से बकाया राशि प्राप्त नहीं होती है। तो उसे अशोध्य ऋण (Bad Debts) कहते हैं।
44. मूर्त सम्पत्ति (Tangible Assets)
ऐसी संपत्ति जिसे देखा और छुआ जा सकता है। तो उसे मूर्त संपत्ति कहते हैं। जैसे – भूमि, फर्निचर, स्टॉक आदि।
45. अमूर्त सम्पत्ति (Intangible Assets)
ऐसी संपत्ति जिसे ना तो देखा जा सकता है और ना ही छुआ जा सकता है। तो उसे अमूर्त संपत्ति कहते हैं। जैसे – ख्याति, पूर्वदत्त व्यय, आदि।
46. कृत्रिम सम्पत्तियाँ (Artificial Assets)
कृत्रिम सम्पत्तियाँ वे सम्पत्तियाँ होती है। जिनका वास्तविक मूल्य नहीं होता है जैसे – प्रारंभिक व्यय आदि।
47. सक्षम (Solvent)
ऐसे व्यक्ति या संस्था जो व्यवसाय मे ऋण चुकाने मे समर्थ होते हैं। वे सक्षम कहलाते हैं।
48. आवर्त (Turn Over)
एक निश्चित अवधि मे नगद और उधार बेचे गए माल की कुल बिक्री का योग आवर्त (Turn Over) कहलाता है। जिसे व्यवसाय की कुल बिक्री भी कहते हैं।
49. लेखा पुस्तके (Accounting Books)
प्रतिदिन होने वाले व्यापारिक सोदों को विधिवत जिन पुस्तकों मे लिखा जाता है। उन पुस्तकों को लेखा पुस्तके कहते है।
50. कमीशन या वर्तन (Commission)
माल के विक्रय मे सहायता देने के लिए दी गयी राशि को कमीशन कहते है।
51. जर्नलाइजिँग (Journalising)
Journal मे प्रतिदिन व्यवहारों को लिखने की क्रिया को जर्नलाइजिँग (Journalising) कहते हैं।
52. सीधी खतौनी (Direct Posting)
याददाश्त पुस्तिका या स्मरण पुस्तिका से सीधे खाता बही (Ledger) मे लेखा करने प्रक्रिया को सीधी खतौनी (Direct Posting) कहते हैं।
53. रोकड़ बही मे नाम लिखना (Debiting in Cash Book)
बैंक शेष (Bank Balance) बढ़ जाना ।
54. पास बूक में नाम लिखना (Debiting in Pass Book)
बैंक शेष (Bank Balance) घट जाना ।
55. रोकड़ बही में जमा लिखना (Crediting in Cash Book)
बैंक शेष (Bank Balance) घट जाना ।
56. पास बूक में जमा लिखना (Crediting in Pass Book)
बैंक शेष (Bank Balance) बढ़ जाना ।
57. चेक निर्गमित करना (Issue of Cheque)
जब व्यापारी अपनी चेक बूक (Cheque Book) से चेक काटकर अन्य व्यापारी (लेनदार ) को भुगतान करता है तो इसे चेक निर्गमित करना कहते है ।
58. चेक का अनादरण (Dishonour of Cheque)
जब व्यापारी द्वारा भुगतान में दिये गये चेक को चेक का प्राप्तकर्ता बैंक में प्रस्तुत करता है और बैंक किसी कारण से उसका भुगतान करने से माना कर देता है तो इसे चेक का अनादरण या अप्रतिष्ठित (Dishonour of Cheque) होना कहते है ।
59. चेक संग्रह हेतु जमा (Cheque deposited for collection)
जब व्यवसायी अपने किसी देनदार या ग्राहक से चेक प्राप्त करके खाते में जमा करने के उद्देश्य से बैंक में जमा करता है तो इसे चेक संग्रह हेतु जमा (Cheque deposited for collection) कहा जाता है ।
60. बैंक प्रभार या बैंक चार्ज (Bank charges)
बैंक अपने द्वारा ग्राहक को दी जाने वाली सुविधाओ या की जाने वाली सेवाओ के बदले जो शुल्क वसूल करता है उसे बैंक प्रभार या बैंक चार्ज कहा जाता है।
61. लाभ का विवरण
वह विवरण जिससे लेखांकन वर्ष के लाभ की गणना की जाती है।
62. प्रारम्भिक पूंजी
लेखांकन वर्ष के प्रारम्भ मे संपातियों का दायित्वो पर आधिक्य
63. अंतिम पूंजी
लेखांकन वर्ष के अंत मे संपातियों का दायित्वो पर आधिक्य
64. अतिरिक पूंजी
चालू वित्तीय वर्ष के मध्य मे लगायी गयी पूंजी अतिरिक पूंजी कहलाती है।
65. अवस्था विवरण
वह विवरण जिससे वर्ष के प्रारम्भ की या वर्ष के अंत की पूंजी ज्ञात की जाती है।
Conclusion
नमस्कार दोस्तो आशा करता हु। की आप को मेरा पोस्ट बहुत पसंद आया होगा। जिसमे मे मैंने आप को बहुत ही आसान भाषा मे बताया की अकाउंटिंग शब्दावली क्या है। तथा Accounting करते समय उपयोग किए जाने वाले शब्द कोन से है। तो दोस्तो यदि आप को इस पोस्ट मे बताये गए शब्दो के अतिरिक्त किसी और शब्द के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी चाहिए। तो आप उस शब्द को कमेंट बॉक्स मे लिख दे। मे उस शब्द को अकाउंटिंग शब्दावली मे Details के साथ List मे Add कर दुगा।
धन्यवाद……..
- Accountant kaise bane पूरी जानकारी हिंदी में।
- Stock किसे कहते हैं। Stock के प्रकार।
- सहायक बहियो के लाभ।
- Final Account क्या है। Final Account कब बनाया जाता है।
हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।
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