जहां एक और लेखांकन सिद्धांतों अनेक लाभ और महत्व होते है। वहीं दूसरी और लेखांकन सिद्धांतों की कुछ सीमाएं भी होती है जो इस प्रकार है।
लेखांकन सिद्धांतों की सीमाएं अथवा दोष क्या है।
1. सर्वानुमती नहीं
लेखा विधि में अभी तक ऐसे कोई भी सिद्धांत नहीं है। जिसका सभी लेखपाल सर्वानुमति करते हैं। क्योंकि व्यवसाय में लेखपाल अपनी सुविधा अनुसार सिद्धांतों का पालन करते हैं।
2. सिद्धांतों की पूर्ण सूची का अभाव
लेखांकन सिद्धांतों में अभी तक एक सर्वमान्य सूची का अभाव बना हुआ है। क्योंकि अभी तक इन सिद्धांतों की कोई भी पूर्ण सूची उपलब्ध नहीं है।
3. संकुचित क्षेत्र
लेखांकन सिद्धांतों का क्षेत्र सीमित होता है। क्योंकि लेखांकन के सिद्धांत केवल लेखाकर्म एव वित्तीय विवरणों तक ही सीमित है।
4. लेखांकन सिद्धांतों के प्रयोग में अंतर होना
लेखांकन सिद्धांतों के प्रयोग में अंतर होता है। क्योंकि एक ही प्रकार के लेखों के लिए अलग-अलग व्यापारी एवं लेखपाल अलग-अलग सिद्धांतों का प्रयोग करते हैं।
5. केवल मौद्रिक व्यवहारों का लेखा
लेखांकन में केवल मौद्रिक व्यवहारों का ही लेखा किया जाता है। जो व्यक्ति साहसी होता है। उसका लेखांकन में कोई उल्लेख नहीं होता है
6. परिस्थितियों से प्रभावित
लेखांकन के सिद्धांत राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक वातावरण में बदलते रहते हैं। जिस कारण इस सिद्धांतों की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
धन्यवाद……
Conclusion
नमस्कार दोस्तो उम्मीद करता हु। की आप को मेरा लेख बहुत पसंद आया होगा। जिसमें मेने आप को बहुत ही आसान भाषा मे बताया कि लेखांकन सिद्धांतों की सीमाएं अथवा दोष क्या है। दोस्तों यदि आप को इस लेख में किसी बात को समझने मे परेशानी होती है। तो आप मुझे Comment Box मे पूछ सकते हैं।
धन्यवाद……….
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हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।