दोस्तों वैसे तो लेखांकन के अनेक सिद्धांत होते हैं। परंतु इस पोस्ट में आज हम लेखांकन के दोहरा लेखा प्रणाली का सिद्धांत के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। क्योंकि लेखांकन में दोहरा लेखा प्रणाली का सिद्धांत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी के आधार पर लेखांकन का कार्य किया जाता है। तो चलिए दोस्तों लेखांकन के दोहरालेखा प्रणाली के सिद्धांत के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
दोहरा लेखा प्रणाली का सिद्धांत क्या है।
Principal of Double Entry System
जिस प्रकार भौतिकशास्त्र (Physics) मे न्यूटन का तीसरा नियम कहता है कि प्रत्येक क्रिया की समान प्रतिक्रिया विपरित दिशा मे होती है। ठीक उसी प्रकार लेखांकन के दोहरालेखा प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक नाम (Debit) का समान जमा (Credit) विपरित दिशा मे होता है। इस सिद्धांत के अनुसार दोहरालेखा प्रणाली के निम्न बिंदु प्रतिपादित होते हैं।
1. प्रत्येक सौदे मे दो पक्ष होते हैं।
2. सौदे का एक पक्ष पाने वाला तथा दूसरा पक्ष देने वाला होता है।
3. लेन देन में दो पक्ष होने के कारण लेखा दो जगह किया जाता है।
4. इस सिद्धांत के अनुसार प्राप्त करने वाले को Debit पक्ष में तथा देने वाले को Credit पक्ष मे लिखा जाता है।
5. लेखा करते समय व्यक्ति, वस्तु, आय-व्यय संबंधित खातों को अलग-अलग नियमो के अनुसार लिखा जाता है।
Conclusion
नमस्कार दोस्तों आशा करता हू की आप को मेरा पोस्ट बेहद पसंद आया होगा जिसमें मैंने आप लेखांकन के दोहरा लेखा प्रणाली के सिद्धांत के बारे जानकारी दी है। दोस्तों यदि आप का दोहरालेखा प्रणाली से संबंधित कोई प्रश्न है। तो आप मुझे Comments Box मे पूछ सकते हैं।
धन्यवाद….
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