नमस्कार दोस्तो इस पोस्ट मे आज हम मूल प्रलेख (Source Documrnts) के बारे मे चर्चा करने वाले है। की मूल प्रलेख (Source Documents) क्या है। तथा इसके लाभ या महत्व क्या है। दोस्तो व्यवसाय किसी भी प्रकार का हो उसमे प्रलेख ( Documrnts) के बिना लेखांकन का कार्य नही किया जा सकता है। क्योकि प्रलेख के आधार पर ही व्यापार की प्रारम्भिक प्रविष्टिया की जाती है। यदि कोई व्यक्ति कह दे की मैंने 1000 रु का नगद माल (Goods) माल खरीदा है। और यदि उसके पास उस माल का कोई प्रलेख या रसीद नही है। तो उसे लेखा बही मे नही लिखा जायगा। क्योकि प्रलेख के बिना रोजनामचे (Journal) मे प्रविष्टि नही की जाती है। तो चलिये दोस्तो अब हम जानते है। की मूल प्रलेख क्या है। तथा इसके लाभ या महत्व क्या है।
लेखांकन क्या है। लेखांकन की विशेषताएं
मूल प्रलेख (Source Documrnts) का अर्थ या आशय।
मूल प्रलेख से आशय एसे प्रलेख से होता है। जो किसी सौदे या प्रविष्टि को सत्यता या प्रमाणिकता प्रदान करता है। मूल प्रलेख को सहायक प्रमाणक या अनुमोदक प्रमाणक के नाम से भी जाना जाता है।
Source Documrnts (मूल प्रलेख) को हम साधारण भाषा मे बिल भी कह सकते है। इन प्रलेख को देख कर ही रोजनामचे मे जर्नल प्रविष्टिया की जाती है। जो लेखांकन से कार्य को सत्यता और वैधता का लिखी प्रमाण देती है। यह प्रलेख व्यवसाय या कंपनी के अंकेक्षण (Audit) तथा कर निर्धारण (Tax Assessment) मे सहायक होते है। और यदि व्यवसाय मे किसी भी प्रकार का विवाद होता है। तो इन मूल प्रलेखों को न्यायालय मे सत्यता के रूप मे भी प्रस्तुत किया जा सकता है। अत: हम कह सकते है। की मूल प्रलेख लेखांकन से प्राणवायु है।
मूल प्रलेख निम्न प्रकार के होते है।
1. रोकड़ पत्रक/नगद पत्रक/धन पत्रक (Cash Memo)
2. बिल/बीजक (Invoice)
3. रसीद या प्राप्ति पत्रक (Receipt)
4. जमा पर्ची (Pay in Slip)
5. नाम की चिट्ठी या डेबिट नोट (Debit Note)
6. जमा की चिट्ठी या क्रेडिट नोट (Credit Note)
7. धनादेश या चैक (Cheque)
मूल प्रलेखों का महत्व या लाभ या आवश्यकता
1. मूल प्रलेखों से व्यवसायी को प्रत्येक सौदे की तिथि, राशि, माल की मात्रा एव संबन्धित पक्षकारों की जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाती है।
2. मूल प्रलेख लेखांकन सौदे के आधार होते है। क्योकि इसी के आधार पर जर्नल प्रविष्टिया की जाती है। तथा लेखांकन (Accounting) का कार्य प्रारम्भ किया जाता है।
3. व्यवसाय मे किसी भी प्रकार का विवाद होने पर मूल प्रलेखों को न्यायलय मे साक्ष्य (Evidenee) के रूप मे माना जाता है।
4. मूल प्रलेख किसी भी प्रकार के व्यवसाय के सौदे का सर्वप्रथम अभिलेख (Record) होता है।
5. मूल प्रलेखों को वर्ष के अंत मे अंकेक्षण (Audit) के समय सत्यता के प्रमाण के रूप मे माना जाता है।
6. इन प्रलेखों के आधार पर ही किसी भी व्यवसाय की लेखा पुस्तकों को सत्य माना जाता है।
नमस्कार दोस्तो आशा करता हु। की आप को मेरा पोस्ट बहुत अच्छा लगा होगा। जिसमे मेने आप को बहुत ही आसान शब्दो मे बताया की मूल प्रलेख (Source Documents) क्या है। तथा इसके लाभ या महत्व क्या है। दोस्तो यदि आप इसी तरह अकाउंटिंग से संबन्धित पोस्ट लगातार प्राप्त करना चाहते है। तो आप मेरे Blog को फॉलो जरूर करे। ताकि आप को समय-समय पर आवश्यक जानकारी मिलती रहे।
धन्यवाद…….
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