नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में हम मूल्यह्रास (Depreciation) के बारे में जानेगे। और साथ में यह भी जानेगे की किसी व्यवसाय में मूल्यह्रास (Depreciation) की मद कितनी महत्वपूर्ण है। दोस्तों यदि आप एक प्रोफेशनल Accounted बनना चाहते है। या फिर अभी आप 11th या 12th के विद्यार्थी हो तो आप को मूल्यह्रास (Depreciation) के बारे जरूर पढ़ना चाहिए।
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मूल्यह्रास क्या है। मूल्यह्रास की पूरी जानकारी हिन्दी में। |
मूल्यह्रास (Depreciation) क्या है।
किसी भी व्यवसाय में व्यवसायी का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है। और इसके लिए वह अपने व्यवसाय में कुछ स्थायी सम्पत्तिया जैसे :- प्लाट, मशीनरी, फर्नीचर, कंप्यूटर, बाइक, आदि का प्रयोग करता है जिससे वह वर्तमान और भविष्य में अनेक वर्षो तक लाभ कमा सके। परन्तु इन स्थायी सम्पतियो का निंरतर उपयोग करने से उन स्थायी सम्पतियो में घिसावट आ जाती है। जिसके कारण उनके मूल्य मे प्रतिवर्ष कमी आ जाती है। और इन्ही स्थायी सम्पत्तियो के मूल्य में आने वाली कमी को मूल्यह्रास कहते है।
मूल्यह्रास एक प्रकार का व्यय (Expenses) क्यों है।
अक्सर देखा जाता है। की जो व्यक्ति लेखांकन कि दुनिया में नए होते है। उनका कहना होता है। की मूल्यह्रास एक व्यय ( Expenses) क्यों है। तो इसका उत्तर होगा कि व्यवसाय मे जितनी भी स्थायी सम्पतिया होती है। उनका प्रयोग व्यवसाय में लाभ कमाने के लिये किया जाता है। और कुछ सम्पतिया ऐसी भी होती है जिनका प्रयोग माल (Goods) बनाने मे किया जाता है। तथा
उन स्थायी सम्पतियो के निरतर उपयोग से उनके मूल्य में कमी आ जाती हे इसलिए यह जरुरी होता है। की इन स्थायी सम्पतियो के उपयोग करने की लागत को प्रतिवर्ष एक व्यय (Expenses) के रूप में लगाया जाये। इसलिए मूल्यह्रास को लाभ -हानि खाते में लिखा जाता है। छोटे व्ययसाय में तो मूल्यह्रास को लाभ -हानि खाते में नहीं लिखा जाये तो लाभ -हानि पर कुछ असर नही होगा। परन्तु बडे – बड़े व्यवसायिक संस्थानों में मूल्यह्रास को एक बहुत महत्वपूर्ण मद माना जाता है। यदि बड़े व्यवसाय में मूल्यह्रास को लाभ -हानि में नहीं लिया गया। तो व्यवसाय के आतिम खाते जैसे :- लाभ -हानि खाता (Profit and Loss acconut) आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet) आदि। सही परिणाम नहीं दर्शाएगा। इसलिए मूल्यह्रास को एक प्रकार का व्यय (Expenses) माना गया है।
मूल्यह्रास किन कारणों से होता है।
अब हम देखते है। की किसी स्थायी संपत्ति पर मूल्यह्रास किन कारणों से लगाया जाता है।
1. अप्रचलन के कारण :- किसी स्थायी संपत्ति के मूल्यह्रास का एक कारण अप्रचलन भी है। क्योकि आज का युग आधुनिक युग है। जहाँ पर प्रतिदिन नए – नए अविष्कार होते रहते है। ऐसे में यदि किसी मशीनरी का नया मॉडल बाजार में आ जाता है। जो कम लागत पर ज्यादा उत्पादन करने की क्षमता प्रदान करता है। तो ऐसे में पुरानी मशीनरी को निकाल दिया जाता है। जिससे वह उपयोग में नहीं आती है। जिसके कारण उस पर मूल्यह्रास की गणना की जाती है। और यह मूल्यह्रास का एक बाह्य कारण माना जाता है।
2. दुर्घटनाओं के कारण :- कभी – कभी व्यवसाय में कुछ ऐसी दुर्घटना हो जाती है। जिससे व्यवसाय में स्थायी सम्पत्तिया या तो पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से खराब हो जाती है। जिसके कारण उन स्थायी सम्पत्तियो के मूल्य में कमी आ जाती है
3. लगातार उपयोग के कारण :- व्यवसाय में किसी स्थायी संपत्ति के मूल्यह्रास का एक महत्वपूर्ण कारण मशीनरी, फर्नीचर, मोटर साइकल, आदि का निरंतर उपयोग करना भी है। क्योकि व्यवसाय में कुछ सम्पत्तिया ऐसी भी होती है। जो व्यवसाय में लम्बे समय से उपयोग में आ रही होती है। जिसके कारण धीरे – धीरे उनकी उपयोगिता नष्ट हो जाती है। और वह कुछ काम की नहीं रहती है।
4. बाजार मूल्य में कमी आ जाने के कारण :- यदि व्यवसाय में कुछ ऐसी सम्पत्तिया है। जिनका बाजार में नया मॉडल आ गया है। और पुराने मॉडल के मूल्य में स्थायी रूप से गिरावट आ गयी है। और यदि भविष्य में उन पुरानी संपत्ति के मूल्य में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होती है। तो ऐसी सम्पत्तियो पर मूल्यह्रास लगाया जाता है।
5. समय व्यतीत होने के कारण :- व्यवसाय में कुछ सम्पत्तिया ऐसी भी होती है। जैसे :- कॉपीराइट, पेटेंट, आदि। ये ऐसी सम्पत्तिया होती है। जिनका मूल्य एक समय बीतने के पश्चात कम हो जाता है। और प्रतिवर्ष इनके मूल्य में कमी आती जाती है। जिससे इन सम्पत्तियो पर मूल्यह्रास लगाया जाता है।
6. रिक्तीकरण के कारण :- कुछ सम्पत्तिया ऐसी होती है। जिनका निरंतर उपयोग करने से उनकी भण्डारण क्षमता में कमी आ जाती है। जैसे :- कोयले की खदान, तेल के कुँए, आदि। जिनके कारण इन सम्पत्तियो पर मूल्यह्रास लगाया जाता है।
मूल्यह्रास के लक्षण
1. मूल्यह्रास के कारण किसी संपत्ति के मूल्य में प्रतिवर्ष कमी होती रहती है।
2. मूल्यह्रास हमेशा स्थायी संपत्ति के पुस्तकीय मूल्य पर लगाया जाता है।
3. ह्रास स्थायी संपत्ति के मूल्य में लगातार कमी करता है।
4. मूल्यह्रास सदैव स्थायी सम्पत्तियो पर लगाया जाता है। न की अस्थायी सम्पत्तियो पर।
5. स्थायी सम्पत्तियो के मरम्मत व् रख – रखाव में जो खर्च लगता है। उसे ह्रास में नहीं जोड़ा जाता है। क्योकि यह एक प्रकार का व्यय (Expenses) होता है।
मूल्यह्रास को अंतिम खाते में कहाँ दर्शाया जाता है।
दोस्तों अभी हमने देखा की मूल्यह्रास क्या है। तथा मूल्यह्रास किस कारण से लगाया जाता है। अब हमारे सामने प्रश्न आता है। की मूल्यह्रास को अंतिम खाते में कहाँ दर्शाया जाता है।
जैसा की हम सभी जानते है। की मूल्यह्रास स्थायी सम्पत्तियो पर लगाया जाता है। तथा इसकी गणना वर्ष के अंत में की जाती है। जब हम किसी स्थायी संपत्ति पर मूल्यह्रास लगाते है। तो यह हमारा एक प्रकार का व्यय होता है। क्योकि ह्रास से संपत्ति के मूल्य में कमी आ जाती है। इसलिए मूल्यह्रास को लाभ – हानि खाते (Profit and Loss) के डेबिट पक्ष (Debit) में अप्रत्यक्ष व्यय (Indirect Expenses) के अंतर्गत दर्शाया जाता है।
तो इसकी Entry होगी।
ह्रास (Depreciation) Dr.
सम्पत्ति (Asset) Cr.
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मूल्यह्रास क्या है। मूल्यह्रास की पूरी जानकारी हिन्दी में। |
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