सामान्य व्यक्ति चाहे पेशा करते हो या नौकरी करते हो या गैर व्यापारिक संस्था हो इन सबको यह जानने की आवश्यकता होती है। कि एक निश्चित अवधि में मैं लाभ हो रहा है या हानि। क्योंकि सामान्य व्यक्ति को तो आयकर देने के लिए हिसाब रखना होता है। और गैर व्यावसायिक संस्थाओं को अपनी आर्थिक स्थिति बदलने के लिए या समाज को खाते दिखाने के लिए हिसाब रखना होता है।
ऐसे मे ईन सभी के द्वारा रोकड़ बही रखी जाती है। परन्तु रोकड़ बही से सभी जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती है। इसी समस्या को दूर करने के लिए रोकड़ बही के आधार एक खाता तैयार किया जाता है। जिसमें सभी आय और व्ययों को लिखा जाता है। इसी खाते को प्राप्ति एव भुगतान खाता कहते हैं।
प्राप्ति एव भुगतान खाता क्या है। (What is Receipts and Payments Account)
सभी सामाजिक संस्था, पेशेवर व्यक्ति, समान्य व्यक्ति द्वारा एक निश्चित अवधि मे वित्तीय स्थिति और रोकड़ शेष की जानकारी के लिए एक खाता तैयार किया जाता है। जिसे प्राप्ति एव भुगतान खाता (Receipts and Payments) कहते हैं। इसके डेबिट पक्ष में सभी प्राप्तियों एव क्रेडिट पक्ष में सभी भुगतानों को लिखा जाता है।
प्राप्ति एव भुगतान खाता की विशेषताएँ (Features of Receipt and Payment Account)
प्राप्ति एव भुगतान खाता तैयार करते समय निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान मे रखा जाता है।
1. शीर्षक – सबसे पहले ऊपर शीर्षक लिखना चाहिए। तथा दूसरी पंक्ति में प्राप्ति और भुगतान खाते की अवधि लिखना चाहिए।
2. प्रारम्भ – इसका प्रारंभ पिछले वर्ष के अंतिम रोकड़ शेष से होता है।
3. प्रकृति – इस खाते की प्रकृति वास्तविक खाते (Personal Account) की होती है
4. प्राप्तियां – इस खाते के Debit पक्ष मे सभी प्राप्तियों को लिखा जाता है।
5. भुगतान – इस खाते के Credit पक्ष में सभी भुगतानों को लिखा जाता है।
6. रोकड़ बही का संक्षिप्त रूप – य़ह खाता रोकड़ बही का संक्षिप्त रूप होता है। अतः इसको लेखाकर्म और पुस्तपालन का अंग नहीं माना जाता है।
7. पूँजी एव आगम – प्राप्ति और भुगतान खाते में सभी प्रकार के पूंजीगत या आगमगत प्राप्तियों एव पूंजीगत भुगतानों का लेखा किया जाता है। इसलिए इसके आधार पर Trial Balance (तलपट) नहीं बनाया जाता है।
8. अंतिम रोकड़ शेष – इस खाते का अंत Credit पक्ष मे रोकड़ शेष से होता है। जो वर्ष के रोकड़ शेष को दर्शाता है।
9. आर्थिक चिट्ठा – प्राप्ति और भुगतान खाते के आधार पर आर्थिक चिट्ठा तैयार नहीं किया जाता है।
10. समायोजन का लेखा नहीं – इस खाते मे Depreciation, अशोध्य ऋण आदि का लेखा नहीं किया जाता है। अतः इससे लाभ-हानि का ज्ञान नहीं होता है।
Conclusion
नमस्कार दोस्तों आशा करता हू की आप को मेरा पोस्ट बेहद पसंद आया होगा जिसमें मैंने आप को बहुत ही आसान शब्दों में बताया कि प्राप्ति एव भुगतान खाता क्या है। और प्राप्ति एव भुगतान खाता की विशेषताएं क्या है। दोस्तों यदि आप को Post मे किसी Topic को समझने मे परेशानी होती है। तो आप मुझे Comments Box मे पूछ सकते हैं।
धन्यवाद….
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हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।