नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट मे हम बहीखाता (Book-Keeping) और लेखांकन (Accounting) के बीच अंतर को जानेगे। क्योंकि य़ह दोनों ही अलग – अलग कार्य है। बहीखाता जो कि लेखांकन की प्रारम्भिक अवस्था है। बहीखाते का कार्य जहाँ समाप्त होता है। वही से लेखांकन का कार्य प्रारंभ होता है। बहीखाते के बिना लेखांकन का कार्य करना सम्भव नहीं है। और लेखांकन के बिना बहीखाते रखने का कोई मतलब नहीं है। बहीखाता और लेखांकन का कार्य किसी व्यवसाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इन दोनों के बिना किसी भी व्यवसाय को सुचारु रूप से नहीं चलाया जा सकता है।
तो चलिए दोस्तों इस पोस्ट मे हम जानते है। की बहीखाता किस प्रकार लेखांकन से भिन्न है।
रोकड़ बही क्या है। रोकड़ बही के प्रकार।
बहीखाता और लेखांकन में अंतर। |
बहीखाता और लेखांकन में अंतर।
या
पुस्तपालन और लेखाकर्म में अंतर।
या
Differentiate between Book-keeping and Accountancy.
1. बहीखाते का अर्थ प्रारम्भिक व्यवहारों का पुस्तकों में लेखा करने से होता है। जबकि लेखांकन का अर्थ प्रारम्भिक पुस्तकों में की गयी प्रविष्टियों की जाँच करना होता है।
2. बहीखाते का क्षेत्र बहुत सिमित होता है। क्योकि इसमें केवल पुस्तकों में लेखा किया जाता है। जबकि लेखांकन का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है। क्योकि इसमें प्रविष्टियों के वर्गीकरण से लेकर अंतिम खाते तैयार किये जाते है।
3. बहीखाते में भूल-चूक और समायोजन से सम्बंधित लेखो को शामिल नहीं किया जाता है। जबकि लेखांकन में समायोजन और भूल-चूक सुधार सम्बंधित लेखो को शामिल किया जाता है।
4. बहीखाता का कार्य करने के लिए किसी विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है। जबकि लेखांकन का कार्य करने के लिए विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है। क्योकि इसमें खातों के जाँच से सम्बंधित कार्य किये जाते है।
5. बहीखाता का कार्य लेखांकन पर निर्भर नहीं होता है। क्योकि यह एक स्वतंत्र कार्य है। जबकि लेखांकन का कार्य बहीखाता पर निर्भर होता है। क्योकि बहीखाता के आधार पर ही लेखांकन का कार्य किया जाता है।
6. बहीखाता का कार्य बहुत सरल होता है। जबकि लेखांकन का कार्य बहुत कठिन होता है।
7. बहीखाते में प्रतिदिन लेन-देन व्यवहारों का लेखा किया जाता है। जबकि लेखांकन में अंतिम खाते तैयार किये जाते है। जो प्रायः वर्ष के अंत में बनाये जाते है।
8. बहीखाता में रोजनामचा से खाताबही में खतौनी (Posting) की जाती है। जबकि लेखांकन में खाताबही की जाँच की जाती है।
9. बहीखाते का कार्य करने के लिए एक कनिष्ठ लेखपाल को नियुक्त किया जाता है। जबकि लेखांकन का कार्य करने के लिए एक वरिष्ठ और अनुभवी लेखपाल को नियुक्त किया जाता है।
10. बहीखाता में जर्नल, सहायक बहियो तथा खाताबही का शेष निकाला जाता है। जबकि लेखांकन में खाताबही के शेषो के आधार पर तलपट (Trail Balance) तैयार किया जाता है।
11. बहीखाता रखना एक कला है। जबकि लेखांकन का कार्य एक विज्ञान है।
12. बहीखाता में किसी प्रकार का जाँच कार्य नहीं होता है। जबकि लेखांकन में बहीखाते की गणितीय शुद्धता की जाँच की जाती है।
13. बहीखाते में अंतिम खाते (Final Account) तैयार नहीं किये जाते है। जबकि लेखांकन में अंतिम खाते तैयार किये जाते है।
14. बहीखाते का कार्य समाप्त होने पर लेखांकन का कार्य प्रारम्भ होता है। जबकि लेखांकन में बहीखाते का विश्लेषण किया जाता है।
सहायक बही क्या है। सहायक बही के प्रकार।
नमस्कार दोस्तों आशा करता हु। की आप को मेरा पोस्ट बेहद पसंद आया होगा। जिसमें मेने बहुत ही आसान शब्दों में बताया कि पुस्तपालन और लेखाकर्म किस प्रकार एक दूसरे से अलग है। दोस्तों यदि आप को पोस्ट से संबंधित किसी बात को समझने मे परेशानी होती है। तो आप मुझे Comment Box मे पूछ सकते हैं। यदि आप इसी तरह Accounting से संबधित पोस्ट निरंतर प्राप्त करना चाहते हैं। तो मेरे ब्लॉग को Follow जरूर करे।
धन्यवाद…….
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हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।