दोस्तो यदि आप सोच रहे है की 2024 मे Accounting कैसे सीखे। तो दोस्तो आज मे आप को कुछ Accounting Tips 2024 देने वाला हु। जिससे आप बहुत ही जल्दी Accounting फील्ड मे अपना करियर बना सके है। जिसके लिए आप को सबसे पहले Accounting Terminology यानि लेखांकन शब्दावली सीखना होगी। जिसकी सम्पूर्ण जानकारी इस आर्टिकल मे दी गयी है।
लेखांकन शब्दावली क्या है 2024
Accounting सिखने से पहले हमें कुछ ऐसे शब्दों को समझना होगा। जो हमें एकाउंटिंग करते समय दिन प्रतिदिन उपयोग में आयगे। जिन्हे हम Accounting की शब्दावली भी कहते है।
Sale (विक्रय)
Purchase (क्रय)
Liabilities (दायित्व)
Capital (पूँजी)
Assets (संपत्तिया)
Goods (माल)
Revenue (आगम)
Expenses (खर्च)
Income (आय)
Drawings (आहरण)
Proprietor (मालिक)
Debtor (देनदार)
Creditor (लेनदार)
Discount (बट्टा)
Profit (लाभ)
Loss (हानि)
Closeing Stock
Opening Stock
1. Sale (विक्रय) :- Sale का अर्थ होता है बिक्री या साधारण भाषा में कहे तो बेचना।
किसी व्यवसाय में निर्माण होने वाला (उत्पादित) माल (Goods) या सेवा को बेचा जाना ही Sale ( विक्रय ) कहलाता है।
किसी व्यवसाय में सेल दो प्रकार से हो सकती है
A . नगद बिक्री (Cash Sale)
B. उधार बिक्री (Credit Sale)
2. Purchase (क्रय) :- Purchase का अर्थ होता है क्रय या साधारण भाषा में कहे तो खरीदना।
जब किसी व्यवसाय में कोई माल (Goods) पुनः विक्रय के उद्देश्य से ख़रीदा जाता है | तो वह Purchase (क्रय) कहलाता है।
किसी व्यवसाय में Purchase (क्रय) दो प्रकार से किया जाता है।
A . नगद क्रय (Cash Purchase)
B. उधार क्रय (Credit Purchase)
3. Liabilities (दायित्व) :- Liabilities (दायित्व) का अर्थ किसी व्यवसाय में उस धन से होता है | जो किसी व्यवसाय या उपक्रम को दुसरो को देना है।
उदाहरण के लिए लेनदार , अल्पकालीन ऋण , देय बिल , दीर्घकालीन ऋण , आदि सभी दायित्व है।
Liabilities (दायित्व) को निम्नलिखित भागो में विभाजित किया गया है।
A. स्थाई दायित्व :- स्थाई दायित्व वे दायित्व होते हैं, जो लम्बी अवधि के बाद चुकाए जाते हैं।
B. अस्थाई दायित्व :- अस्थाई दायित्व वे दायित्व होते है जो अल्प अवधि के बाद चुकाए जाते है।
4. Capital (पूँजी) :- किसी व्यवसाय में Capital (पूँजी) का आशय उस धनराशि से होता है जो व्यवसाय प्रारम्भ करते समय व्यवसाय के मालिक द्वारा व्यवसाय में लगाई जाती है अर्थात जिस रुपयो से मालिक व्यवसाय प्रारम्भ करता है | उसे Capital (पूँजी) कहते है।
5. Assets (संपत्तिया) :- किसी व्यवसाय में Assets (सम्पत्तिया) वो होती है | जिन्हे व्यवसाय के संचालन तथा आय अर्जित करने के लिए व्यवसाय में लगाया जाता है | तथा इन्हे कुछ समय बाद Cash में बदला जा सकता है।
उदाहरण :- भूमि , मशीनरी , बिल्डिंग आदि।
6. Goods (माल) :- किसी व्यवसाय में Goods (माल) उस वस्तु को कहा जाता है | जिसका निर्माण व्यवसाय में क्रय – विक्रय के लिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यवसायी कपडे का व्यापार करता है | तो कपड़ा Goods (माल) होगा।
वैसे ही यदि कोई व्यवसायी दाल का क्रय – विक्रय करता है | तो दाल Goods (माल) होगा।
7. Revenue (आगम) :- हमें थोड़ा यहा ध्यान देना होगा की Revenue (आगम ) और Income (आय ) दोनों अलग -अलग है | किसी व्यवसाय में नियमित रूप से प्राप्त होने वाली आय हो Revenue ( आगम ) कहा जाता है।
उदाहरण के लिए अर्जित किराया , अर्जित लाभांश आदि
8. Expenses (खर्च) :- किसी व्यवसाय में आय अर्जित करने के लिए जो लागत लगती है | उसे Expensae (व्यय ) कहते है।
जैसे – सैलेरी , कमीशन , गाड़ी खर्च आदि।
9. Income (आय) :- किसी व्यवसाय में जो भी आगम होती है | उन आगम में से खर्च घटाने के बाद जो राशि बचती है | उसे Income ( आय ) कहते है।
आगम – खर्च = आय
10. Drawings (आहरण) :- व्यवसाय के मालिक द्वारा जब कोई मॉल या नगद व्यवसाय से निजी उपयोग के लिए निकला जाता है | तो उसे Drawings (आहरण) कहा जाता है | उदाहरण – यदि कोई व्यवसायी अपने बच्चे की फीस के लिए व्यवसाय से 5000 रू निकालता है। तो यह आहरण होगा।
11. Proprietor (मालिक) :- जिस व्यक्ति के द्वारा व्यवसाय प्रारम्भ किया जाता है। तथा जिसके द्वारा व्यवसाय में पूंजी लगाई जाती है और व्यवसाय में होने वाले लाभ को वो खुद वहन करता है तथा व्यवसाय में होने वाली हानि भी खुद ही वहन करता है तो ऐसा व्यक्ति व्यवसाय का Proprietor (मालिक) कहलाता है।
12. Debtor (देनदार) :- व्यवसाय में जब भी किसी व्यक्ति को उधार माल बेचा जाता है, तो वह व्यक्ति Debtors (देनदार) कहलाता है जेसे यदि रमेश को 1000 रू का उधार माल बेचा तो रमेश Debtor (देनदार) कहलायेगा।
13. Creditor (लेनदार) :- व्यवसाय में जब भी किसी व्यक्ति से उधार माल खरीदा जाता है, तो वह व्यक्ति Creditor (लेनदार) कहलाता है जेसे सुरेश से 1000 रू का उधार माल खरीदा। तो सुरेश Creditor (लेनदार) कहलाएगा।
14. Discount (बट्टा) :- जब व्यवसाय मे माल बेचते या खरीदते समय किसी प्रकार की छूट दी जाती है तो उसे Discount (बट्टा) कहते है
15. Profit (लाभ) :- लेखांकन वर्ष के अंत में समस्त आय में से व्यय घटाने के पश्चात Profit (लाभ) प्राप्त होता है।
16. Loss (हानि) :- लेखांकन वर्ष के अंत में समस्त आय में से व्यय घटाने के पश्चात कभी – कभी आय कम होती है तथा व्यय ज्यादा हो जाते हैं तो Loss (हानि) प्राप्त होता है।
17. Closeing Stock :- व्यवसाय मे जब हम कोई माल क्रय – विक्रय करते हैं। तथा लेखांकन वर्ष के अंत में जो माल (Goods ) हमारे पास बच जाता है तो उस बचे माल को Closing stock कहते है।
18. Opening Stock :- व्यवसाय मे लेखांकन वर्ष के प्रारंभ में जो माल पिछले वर्ष का होता है। वह चालू वर्ष में Opening Stock कहलाता है।
Conclusion
नमस्कार दोस्तो उम्मीद करता हु। की आप को मेरा लेख बहुत पसंद आया होगा। जिसमें मेने आप को बहुत ही आसान भाषा मे बताया कि Accounting करते समय प्रतिदिन उपयोग होने वाले शब्द कोन से है। दोस्तों यदि आप को इस लेख में किसी बात को समझने मे परेशानी होती है। तो आप मुझे Comment Box मे पूछ सकते हैं।
धन्यवाद……….इन्हे भी पढे :-1. | Trading Account और Balance Sheet मे अन्तर। |
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4. | Financial Year और Assessment Year मे अंतर। |
5. | अप्रचलन और गत प्रयोग मे अन्तर। |
हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।
Business me kitne varsh ka record rakha jata hai
kam se kam 5 year ka data hona chahiye
Ek page pe cr kis taraf rahega Dr kis taraf rahega
trading account me Dr. side left me , or cr. side right me rahegi
Abhi a/c shuru kar rahe hai thoda batla dijiye please find attached my resume
ha boliye…
very nice
thanks