नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट मे हम पूँजी के बारे मे विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करेगे। दोस्तों वैसे तो पूँजी के बारे में अर्थशास्त्र मे कई परिभाषा दी गयी है। परन्तु आज हम Accounting भाषा में पूँजी का अर्थ जानेगे। तथा साथ ही इसके प्रकारों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेगे।
पूँजी खाता (Capital Account) क्या है। और यह कैसे बनाते है।
पूँजी (Capital) क्या है।
साधारण भाषा में कहे तो पूँजी का अर्थ धन, कैपिटल, मुद्रा और संपत्ति से होता है। किसी भी व्यवसाय में पूँजी रक्त के सामान होती है। जिस प्रकार किसी मनुष्य के शरीर में रक्त का प्रवाह जरुरी होता है। उसी प्रकार व्यवसाय में भी पूँजी का प्रवाह जरुरी होता है। पूँजी किसी भी व्यवसाय के लिए बहुत आवश्यक होती है। क्योकि बिना पूँजी के द्वारा व्यवसाय प्रारम्भ नहीं किया जा सकता है। व्यवसाय का मालिक जो कुछ भी व्यवसाय में लगाता है। वह उसकी पूँजी होती है।
सरल भाषा में कहे तो व्यवसाय का स्वामी व्यवसाय में जो रोकड़, माल (Goods) और संपत्ति लगाता है। उसे पूँजी कहते है।
पूँजी की एक और परिभाषा देखे तो “किसी विशेष समय पर व्यवसाय की सम्पत्ति का उसके दायित्व पर जो आधिक्य होता है। वह व्यापार की पूँजी होती है।”
इसे एक उदाहरण से समझते हैं।
नमन अपना व्यवसाय 35000 रू नगद और 25000 रू का माल (Goods) लगाकर प्रारम्भ करता है। तो उसकी व्यापार मे कुल पूँजी 60000 रू होगी।
व्यवसाय में पूँजी ज्ञात करने का सूत्र निम्नलिखित है।
पूँजी = सम्पत्ति – दायित्व
Capital = Assets – Liabilities
इस सूत्र को एक उदाहरण से समझते हैं। यदि व्यवसाय में कुल सम्पत्ति 60000 रू है। और कुल दायित्व 40000 रू है। तो
पूँजी = सम्पत्ति – दायित्व
पूँजी = 60000 – 40000
पूँजी = 20000
तो व्यवसाय की कुल पूँजी 20000 रू होगी।
पूँजी के प्रकार
पूँजी को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
1. स्थायी पूँजी (Fixed Capital)
2. चल पूँजी (Floating Capital)
3. कार्यशील पूँजी (Warking Capital)
1. स्थायी पूँजी (Fixed Capital)
स्थायी पूँजी से आशाय ऐसी पूँजी से होता है। जिसका प्रयोग व्यवसाय में स्थायी सम्पत्ति खरीदने के लिए किया जाता है। तथा य़ह स्थायी सम्पत्ति व्यवसाय में लंबे समय तक उपयोग मे लायी जाती है।
जैसे :- प्लांट, कारखाना, मशीनरी, फर्निचर, आदि खरीदने के लिए लगाती गयी पूँजी।
2. चल पूँजी (Floating Capital)
चल पूँजी से आशाय ऐसी पूँजी से होता है। जो व्यवसाय में पुनः विक्रय के उद्देश्य से खरीदे गए माल के क्रय के लिए लगायी जाती है।
जैसे :- कच्चे माल को खरीदने के लिए लगायी गयी पूँजी।
3. कार्यशील पूँजी (Warking Capital)
कार्यशील पूँजी से आशाय ऐसी पूँजी से होता है। जो व्यवसाय के प्रतिदिन कार्यो के भुगतान के लिए उपयोग में लायी जाती है। इस पूँजी का प्रयोग व्यवसाय में दैनिक खर्चो, प्रत्यक्ष व्ययो और अप्रत्यक्ष व्ययों आदि के भुगतान की पूर्ति के लिए किया जाता है
जैसे :- व्यवसाय मे मजदूरी, ठेला भाड़ा आदि देने के लिए कार्यशील पूँजी का प्रयोग किया जाता है।
कार्यशील पूँजी ज्ञात करने का सूत्र
कार्यशील पूँजी = चालू पूँजी – चालू दायित्व
Working Capital = Current Assets – Current Liabilities
यदि इसे सरल भाषा में परिभाषित किया जाए तो चालू सम्पत्ति का चालू दायित्व पर आधिक्य कार्यशील पूँजी कहलाता है।
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हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।