नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट मे हम सहायक बही जिसे Subsidiary Books भी कहते हैं। के बारे में चर्चा करेगे। साथ ही हम जानेगे की सहायक बही कितने प्रकार की होती है। सहायक बहीया किसी भी व्यवसाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि इसी के आधार पर लेखांकन का कार्य किया जाता है। इसलिए हमे सहायक बही के बारे मे ठीक से जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए। तो चलिए सबसे पहले हम सहायक बही के बारे में जानते है।
सहायक बही क्या है। सहायक बही के प्रकार। |
सहायक बही क्या है। (What is Subsidiary Books)
पुराने समय में बहुत से व्यवसाय ऐसे होते थे। जहा पर कम व्यवहार होते थे। और उनमे लेन – देनों की संख्या भी सीमित होती थी। ऐसे मे व्यवसायी को केवल एक जर्नल रखने से भी काम चल जाता था। जिसमें क्रय, विक्रय, क्रय वापसी, विक्रय वापसी, देय बिल, प्राप्त बिल, आदि से संबंधित सौदों को एक ही जर्नल मे लिखा जाता था।
परन्तु आज के इस व्यापारिक युग में उद्योग, व्यापार और व्यवसाय का रूप दिन – प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जिसमें प्रतिदिन अनेकों प्रकार के सौदे होते हैं। ऐसे में ईन सभी सौदों को एक ही जर्नल मे लिख पाना बहुत मुश्किल का कार्य है। इसलिए लेखांकन के कार्य को सरल बनाने व एक ही प्रकार के सौदों को ज्ञात करने के लिए जर्नल का विभाजन कर दिया गया। जिसमें एक ही प्रकार के सौदों के लिए एक अलग बही बनाई जाती है।
जैसे :- क्रय बही, विक्रय बही, क्रय वापसी बही, विक्रय वापसी बही, देय बही, प्राप्य बही और रोकड़ बही आदि।
इस प्रकार जर्नल को उप-विभाजित करके जो अलग-अलग बहिया बनाई जाती है। उसे सहायक बहिया कहते है।
साधारण भाषा में कहे तो सहायक बहिया वो बहिया है। जो रोजनामचा को ही उप-विभाजित करके अपने अलग-अलग व्यवहारों के लिए लिखी जाती है। अर्थात एक ही प्रकार के व्यवहारों को एक ही बही में लिखा जाता है।
सहायक बहियो के प्रकार (Types of Subsidiary Books)
रोजनामचे का विभाजन करके सामान्यतः निम्न बहियो को रखा जाता है।
1. क्रय बही (Purchases Books)
जिस बही में उधार क्रय (Purchases) किये गए। माल (Goods) का लेखा किया जाता है। उस बही को क्रय बही कहते है। क्रय बही एक ऐसी बही है। जिसमे केवल उधार क्रय किये गये। माल का लेखा किया जाता है। इसलिए इसे बीजक बही भी कहते है। नगद क्रय किये गए माल का लेखा तो रोकड़ बही में किया जाता है। परन्तु उधार क्रय किये गए माल का लेखा क्रय बही में किया जाता है। इसमें केवल वही क्रय किये गए माल का लेखा किया जाता है। जो पुनः विक्रय के उद्देश्य से क्रय किया जाता है।
2. विक्रय बही (Sales Books)
जिस बही में उधार विक्रय (Sales) किये गए। माल (Goods) का लेखा किया जाता है। उस बही को विक्रय बही कहते है। विक्रय बही सहायक बहियो की एक महत्वपूर्ण बही है। जिसमे केवल उधार बेचे गए माल का लेखा किया जाता है। और जो माल नगद बेचा जाता है। उसका लेखा रोकड़ बही में किया जाता है जाता है। विक्रय बही को दैनिक विक्रय बही या विक्रय जर्नल के नाम से भी जाना जाता है।
3. क्रय वापसी बही (Purchases Return Books)
जिस बही में क्रय (Purchases) किये हुए माल की वापसी का विवरण होता है। उस बही को क्रय वापसी बही कहते है। व्यवसाय में कभी-कभी किसी कारणवश ख़रीदे गए माल को वापसी करने की जरुरत होती है। माल वापसी निम्न दशाओ में हो सकता है। जैसे :- माल खराब प्राप्त होना।, माल नमूने के अनुसार ना मिलना।, माल में टूट फुट होना।, माल देरी से प्राप्त होना। आदि तो ऐसे मे ख़रीदे गए माल को वापस कर दिया जाता है। जिसका लेखा क्रय वापसी बही में किया जाता है।
4. विक्रय वापसी बही (Sales Return Books)
जिस बही में माल बेचने के बाद, किन्ही कारणो से क्रेता द्वारा माल वापसी का लेखा किया जाता है। उस बही को विक्रय वापसी बही कहते है। व्यवसायी अपना माल तो बेच देता है। परन्तु कभी-कभी क्रेता निम्न कारणो से जैसे :- माल पूरा ना प्राप्त होना।, माल घटिया किस्म का प्राप्त होना। माल नमूने के अनुसार नहीं होना। आदि कारणो से माल वापसी कर देता है। तो ऐसे में इसका लेखा विक्रय वापसी बही में किया जाता है। इस बही को अन्तः वापसी बही (Return Inward Books) भी कहते है।
5. प्राप्य बिल बही (Bills Receivable Books)
जब व्यवसायी उधार माल बेचता है। तो व्यवसायी अर्थात विक्रेता कुछ समय के बाद अपने क्रेता को एक विनिमय विपत्र लिखता है। जिसमें य़ह लिखा होता है। की बिल की राशि का भुगतान बिल की समय अवधि के पूर्व कर दिया जाए। तो य़ह विपत्र विक्रेता के लिए प्राप्य बिल कहलाता है। व क्रेता के लिए य़ह बिल देय बिल कहलाता है। तो ऐसे बिलों का लेखा प्राप्य बिल बही मे किया जाता है।
6. देय बिल बही (Bills Payable Books)
जब व्यवसायी उधार माल खरीदता है। तो व्यवसायी अर्थात विक्रेता को कुछ समय के बाद अपने क्रेता से एक विनिमय विपत्र प्राप्त होता है। जिसमें य़ह लिखा होता है। की बिल की राशि का भुगतान बिल की समय अवधि के पूर्व कर दिया जाए। तो य़ह विपत्र व्यवसायी अर्थात विक्रेता के लिए देय बिल व क्रेता के लिए प्राप्य बिल कहलाता है। तो ऐसे बिलों का लेखा व्यवसायी देय बिल बही मे करता है।
7. रोकड बही (Cash Book)
रोकड बही से आशय ऐसी बही से होता है। जिसमें व्यवसायी द्वारा समस्त नगदी लेन – देनों का लेखा किया जाता है।
रोकड बही मे उन सभी व्यवहारों का लेखा किया जाता है। जिससे व्यवसाय में रोकड प्राप्त होती है। या रोकड का भुगतान किया जाता है। फिर चाहे य़ह भुगतान या प्राप्ति व्यवसाय के क्रय – विक्रय से संबंधित हों। या आय – व्यय से या सम्पत्ति या दायित्व से संबंधित हों। सभी का लेखा रोकड बही मे किया जाता है।
रोकड बही वह सहायक बही होती है। जो प्रत्येक व्यवसायी चाहे वह छोटा हो। या बड़ा। सभी के द्वारा रखी जाती है। रोकड़ बही रखने का मुख्य उद्देश्य व्यवसाय की हस्त रोकड़ की शेष की जानकारी प्राप्त करना होता है।
8. मुख्य जर्नल (Journal Proper)
जिन व्यापारियों का व्यापार बड़े पैमाने पर होता है। वे अपने व्यापार में अनेक सहायक बहियो का प्रयोग करते है। परन्तु व्यापार में कुछ सौदे ऐसे भी होते है। जिनके लिए अलग सहायक बही नहीं रखी जाती है। ऐसे में व्यापारी इन सभी सौदों को एक अलग पृथक बही में लिखता है। और इस बही को मुख्य जर्नल (Journal Proper) कहते है। मुख्य जर्नल (Journal Proper) को जर्नल विशेष, मूल जर्नल और मुख्य पंजी भी कहते है।
नमस्कार दोस्तों आशा करता हु। की आप को मेरा पोस्ट बहुत पसंद आया होगा। जिसमे मेने आप सभी को सहायक बही और उसके प्रकारो के बारे में जानकारी दी। दोस्तों यदि आप के मन में पोस्ट से संबंधित कोई भी प्रश्र हो तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है। में जल्दी से जल्दी आप के प्रश्र का उत्तर देने की कोशिश करुगा। क्योकि मेरा प्रथम उद्देश्य आप की सहायता करना है। यदि आप इसी तरह Accounting से सम्बंधित पोस्ट निरंतर प्राप्त करना चाहते है। तो कृपया मुझे फॉलो जरूर करे।
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हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।
सहायक बही का लाभ बताइए
https://www.accountingsikhehindime.com/2021/01/shayak-bahi-labh.html
shayak bahi ke labh ke liye aap mere blog par post dekh sakte he.