नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में हम बात करेंगे। की पूँजी खाता (Capital Account) क्या है। और यह कैसे बनाया जाता है। और साथ में हम पूँजी खाता (Capital Account) के प्रारूप पर भी नज़र डालेंगे।
बहुत से लोग पूँजी खाता (Capital Account) को लेकर कन्फुज़ रहते है। की पूँजी खाता (Capital Account) तो आर्थिक चिठ्ठे (Balance Sheet) दर्शाया जाता है। और यह सही भी है। परन्तु आप को Balance Sheet बनाने से पहले पूँजी खाता (Capital Account) के बारे में ठीक से जानना होगा। क्योकि पूँजी खाता Balance Sheet के पहले बनाया जाता है।
पूँजी खाता (Capital Account) किसी व्यवसाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्योकि किसी भी व्यवसाय में व्यवसायी अपनी निजी पूँजी लाभ अर्जित करने के लिए लगाता है। तो उसे यह ज्ञात करना अति – आवश्यक होता है। उसे व्यवसाय में लाभ हो रहा है। या हानि। तथा यह भी ज्ञात करना होता है। की व्यवसाय में उसके निजी खर्च घटाकर और निजी आय को जोड़कर व्यवसाय में कुल कितनी पूँजी है। ताकि वह अपनी पूँजी के आनुसार व्यवसाय का विस्तार कर सके।
तो दोस्तों सबसे पहले हम पूँजी खाता (Capital Account) के बारे में विस्तार से जानते है।
पूँजी खाता (Capital Account) क्या है। और यह कैसे बनाते है। |
पूँजी खाता (Capital Account) क्या है।
किसी व्यवसाय में व्यवसायी का स्वामी जो अपनी निजी रोकड़ (Capital), संपत्ति (Assets) व मॉल (Goods) व्यवसाय में लगाता है। उसे पूँजी कहते है।
और अपनी निजी रोकड़ (Capital), संपत्ति (Assets) व मॉल (Goods) की जानकारी प्राप्त करने के लिए जो खाता बनाया जाता है। उसे पूँजी खाता (Capital Account) कहते है।
Trade Discount और Cash Discount क्या है।
पूँजी खाता (Capital Account) का उदाहरण :-
जब व्यवसायी अपनी निजी/बचत रोकड़ 10,000,00 रु लगाकर कपडे का व्यवसाय शुरू करता है। तो यह 10,000,00 रु पूँजी होगी।
नगद पूँजी लगाने पर पुस्तकों में निम्न प्रकार प्रविष्टि होगी।
Cash a/c Dr. 10,000,00
To Capital a/c 10,000,00
(नगद पूँजी लगाकर व्यवसाय प्रारम्भ किया )
नगद पूँजी के अलावा अन्य संपत्ति पूँजी से व्यवसाय प्रारम्भ करने पर पुस्तकों में निम्न प्रकार प्रविष्टि होगी।
Assets/Stock a/c Dr. 10,000,00
To Capital a/c 10,000,00
(Assets/Stock पूँजी लगाकर व्यवसाय प्रारम्भ किया )
यहाँ पर हमें एक बात का ध्यान रखना होगा। की व्यवसायी जो अपनी निजी रोकड़ या अन्य संपत्ति से व्यवसाय प्रारम्भ करता है। वही केवल व्यवसाय की पूँजी होती है।
इसके अतिरिक्त जब व्यवसायी बैंक या अपनी किसी रिश्तेदार से रूपये उधार लेकर व्यवसाय प्रारम्भ करता है। तो यह पूँजी ना होकर एक लोन होगा।
यदि बैंक से लोन लिया है। तो इसे बैंक लोन में दर्शायगे। और यदि किसी रिश्तेदार से लोन लिया है। तो इसे असुरक्षित लोन (Unsecured Loan) में दर्शायगे।
पूँजी खाता (Capital Account) कब बनाया जाता है।
पूँजी खाता (Capital Account) वर्ष के अंत में बनाया जाता है। पूँजी खाता बनाने से पहले लाभ – हानि खाता (Profit & Loss Account) बनाया जाता है। फिर लाभ – हानि खाते के शेष को आगे। पूँजी खाते में ले जाया जाता है। और फिर बाद में पूँजी खाते के शेष को आर्थिक चिठ्ठा (Balance Sheet) में दिखाया जाता है।
पूँजी खाता (Capital Account) में दर्शाये जाने वाली मदे।
पूँजी खाता (Capital Account) के डेबिट पक्ष और क्रेडिट पक्ष में निम्न मदो को दिखाया जाता है।
डेबिट पक्ष की मदे। (Debit Side Entrys)
- Bank Withdrawal :- व्यवसायी द्वारा अपने Saving Bank Account के निकाले गए। रुपयों को Capital में से कम किया जाता है
- Drawing :- Drawing जिसे हिंदी में आहरण कहा जाता है। व्यवसायी द्वारा अपने निजी खर्च के लिए व्यवसाय से जो रुपये निकाले जाते है। उसे आहरण कहा जाता है। इस प्रकार निकाले गए रुपये को Capital से कम किया जाता है। जिसे डेबिट पक्ष में दर्शाया जाता है।
- School/Tuition Fees :- जब व्यवसायी अपने बच्चों की स्कूल फीस, कॉलेज फीस व ट्यूशन फीस का भुगतान अपने व्यवसाय से करता है। तो य़ह एक निजी खर्च होता है। जिसे Capital से कम किया जाता है।
- LIC of India Insurance :- जब व्यवसायी अपने बच्चों की LIC किस्त, व स्वयम की LIC किस्त का भुगतान अपने व्यवसाय से करता है। तो य़ह एक निजी खर्च होता है। जिसे डेबिट पक्ष मे लिखा जाता है। और इसे Capital से घटाया जाता है।
- Income Tax/Advance Tax Paid :- जब व्यवसायी अपना Income Tax रिटर्न फाइल करता है। और जो Tax भरना होता है। उस Tax को भी Capital से कम किया जाता है। और बहुत से व्यवसायी कुछ एडवान्स टैक्स भी भरते हैं। जिसे भी Capital Account के डेबिट पक्ष में लिखा जाता है।
- Health Insurance/Mediclaim :- जब व्यवसायी अपने और अपने परिवार के लिए किसी प्रकार का स्वास्थ्य बीमा करता है। और उसका भुगतान अपने व्यवसाय से करता है। तो उसे भी Capital से घटाया जाता है।
क्रेडिट पक्ष की मदे। (Credit Side Entrys)
- Opening Capital Balance :- व्यवसायी का यदि कुछ Opening Credit Balance होता है। तो उसे credit पक्ष में लिखा जाता है।
- Bank Deposits :- व्यवसायी द्वारा अपने Saving Bank Account में जमा किये गए। रुपयों को Capital में जोड़ा जाता है।
- Saving Bank Interest :- व्यवसायी के Saving Bank Account से प्राप्त Interest को भी Capital में जोड़ा जाता है।
- Profit and Loss Account :- Profit and Loss Account बनाने के बाद जो सकल लाभ (Net Profit) होता है। उसे Capital Account के क्रेडिट पक्ष में लिखा जाता है। जिससे Capital Account मे बढ़ोतरी होती है।
पूँजी खाता (Capital Account) का प्रारूप।
पूँजी खाता (Capital Account) क्या है। और यह कैसे बनाते है। |
पूँजी खाता (Capital Account) क्या है। और यह कैसे बनाते है। |
हेलो दोस्तो, मेरा नाम विकास जरीवाला है। और मै एक प्रोफेशनल अकाउंटेंट हु। दोस्तो इस ब्लॉग पर मे Accounting, Tally Prime, Technology और Commerce Stream से जुड़े लेख लिखता हू।
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